Monday 12 December 2016

सकारात्मक सोच, Positive thinking


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यह संसार विभिन्न प्रकार के प्राणियों से भरा हुआ है, उसमें मानव सबसे विकसित है। मानव में भी आचरण के हिसाब से मुख्यतः दो प्रकार के इंसान पाए जाते हैं- एक सकारात्मक सोच वाला इंसान तो दूसरा नकारात्मक।
सकारात्मक सोच का इंसान सद्गुणों से  भरपूर होता है। सत्य निष्ठा, मिहनत व अनुशासन जैसे गुण उसमें विशेष रूप से पाए जाते हैं व अपनी मिहनत व परिश्रम के बदौलत हर संभावित परिस्थितियों के लिए वह खुद को पहले से तैयार रखता है। समय पर काम करना, सच बोलना व अपनी वर्तमान परिस्थितियों का एहसास करते हुए उसे बेहतर व सुंदर बनाने का प्रयास करना उसके मुख्य आदत में शामिल होती है।
 
इसके लिए वह लक्ष्य बनाता है और अगर विद्यार्थी तो दिनरात मेहनत कर वह खुद को वहां पहुंचाने का प्रयास करता है, जिसका वह सपना देखा। तभी गरीब मां-बाप के किसी बच्चा की परिस्थिति बदल जाती है जबकि कोई गरीबी झेलते हुए जीवन जीता रहता है। अर्थात् सकारात्मकता वह भाव भी है जिसके लिए कुछ असंभव नहीं अगर ठान लिया जाय और उसके लिए जुट जाया जाय।

ऐसे ही बुद्धिमान व सकारात्मक इंसान अपनी परिस्थितियों का आभास करते हुए उसी में बेहतर तरीके से जीने का प्रयास करता हैं और अपने जीवन को यूं संचालित करता हैं कि उन्हें दूसरों के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़े। ऐसे लोग सच्चे व आत्मविश्वासी होते हैं तथा मुश्किलों से बिना घबराए प्रसन्न जीवन जीते हैं। सकारात्मकता वह चमक भी है,  कि अपने प्रभाव में आने वाले व्यक्ति में भी वे इसकी ज्योति बांटते चलते हैं जिससे उनके संगत में आने वाले व्यक्ति के विकास की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।

जबकि नकारात्मक इंसानों की अपनी सोच नहीं होती। वह परिस्थितियों के हवाले खुद को किए रहता है। पैसा आया तो बिना कल का सोचे बेफालतू चीजों में भी उड़ा दिया और उसके बाद से अत्यावश्यक खर्च के लिए भी वह दूसरों के सामने हाथ फैलाते फिरा करता है। यह उसके लिए इमरजेंसी कम, जब तब की आदत में शामिल हो जाती है। ऐसे लोगों की समाज में इज्जत नहीं होती। बार-बार हाथ फैलाने की वजह से लोग उस पर भरोसा नहीं करते तो वह अपनी परिस्थितियों में गंभीरता पैदा करने के लिए नित नया-नया बहाना बनाने लगता है। साथ ही खुद को प्रसन्न नहीं रख पाने की वजह से उसे दूसरों की खुशी से जलन भी होती है।

इसीलिए नकारात्मक इंसान जानबूझकर ऐसा कुछ कर देना चाहता है ताकि दूसरे भी दुखी रहे। तभी मिलने वाले इंसान के बारे में अगर उसे पता चले कि वह दुखी मगर दूसरा खुश तो वह ऐसा कुछ बोल देता है, ऐसी कोई जहर उसके मन में बो देना चाहता है कि दूसरे की खुशी भी गुम हो जाय और हो जाय वह भी नकारात्मकता के शिकार। ऐसे लोग चुगलीखोर भी होते हैं और अपने फायदे के लिए निकृष्ट से निकृष्टतम कार्य भी करते हैं व इसके लिए तैयार रहते हैं। ऐसे लोगों के संपर्क में आने पर स्वभाविक रूप से वह अपनी नकारात्मकता दूसरों में डाल देता है व इसका प्रयास करता है। इसीलिए बड़े-बुजुर्ग ने भी सत्संग करने हेतु प्रोत्साहित किया है। दुर्जन से बचने की सलाह दी है।

इसलिए अच्छा यहीं है कि आप अपना काम पूरी ईमानदारी व सच्चाई के साथ समय पर करे और आपके पास समय बचें तो उससे जुड़े जो अच्छा, सच्चा व सकारात्मक हो, नकारात्मक नहीं। नकारात्मक इंसान न खुद खुश रहता हैं और न दूसरों को खुश रहने देता हैं । अर्थात् जिन्हें रोने की आदत, उससे बचने का प्रयास करे। यह खुश रहने का एक सरल उपाय है।

-कुलीना कुमारी, 2-12-2016

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