बड़ा ठंढा-ठंढा मौसम राजा
ये मुझको डराये
तोहे गोड़ लागूं सैया
अगर तू इससे बचाए
ये मुझको डराये
तोहे गोड़ लागूं सैया
अगर तू इससे बचाए
कांपे हैं तन-बदन मेरा
मगर तू मुझसे दूर है
इस आलम का क्या करूं
अगर तू मजबूर है
मगर तू मुझसे दूर है
इस आलम का क्या करूं
अगर तू मजबूर है
तू कुछ भी करके आजा
तोहे गोड़ लागूं सैया
अगर तू इसको गरमाए..
तोहे गोड़ लागूं सैया
अगर तू इसको गरमाए..
कब से साथ तूने दिया नहीं
कहो अकेले मैं कब तक चलूं
कब से प्यार तूने किया नहीं
तो तेरा नाम कब तक मैं लूं
कहो अकेले मैं कब तक चलूं
कब से प्यार तूने किया नहीं
तो तेरा नाम कब तक मैं लूं
तू मुझको छोड़ नहीं राजा
तुम्हें खुशकर जाऊंगी
अगर तू मुझको अपनाए..
तुम्हें खुशकर जाऊंगी
अगर तू मुझको अपनाए..
ये जुदाई आँख खुले में सोने न दे
बन्द करूँ तो बुरा सपना आ जाय
आज तेरे बिना नींद न आय
ये ठण्ड मुझे बड़ा तरसाये
बन्द करूँ तो बुरा सपना आ जाय
आज तेरे बिना नींद न आय
ये ठण्ड मुझे बड़ा तरसाये
फिर से मुझसे तू मेल कर ले
तोहे गोड़ लागूं सैया
अगर तू अपने बगल में सुलाए..
तोहे गोड़ लागूं सैया
अगर तू अपने बगल में सुलाए..
-कुलीना कुमारी, 21-12-2016
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