गये जो तुम आए ही नहीं
मुझसे मिले ही नहीं
कहो कब तुम आओगे
तरसे हैं अंखियां मेरी
तरसे हैं जियरा
कहो तृप्त कब करोेगे
हर नजारा है सूना-सूना
खुशी की वजह ही नहीं
कबसे प्यार तूने दिया नही
तो खिलने की वजह ही नहीं
कब तुम सुनेगो
मुझे अपना सुनाओगे
कहो प्यार में कब तुम रंगोगे...
लगे सदियां बीत गयी
तेरे बगल में बैठते
तेरा प्यार पाते
तुमसे गले लगते
कहो समय कब निकालोगे
मेरा दिल बहलाओगे
मुझे अपना बनाओगे..
तेरे बिरह में लागे
ये दुनिया ही हमें ओछी
जहां तेरे प्यार का समंदर नहीं
वो जगह नहीं अच्छी
मुझमें आश कब भरोगे
विश्वास कब भरोगे
कहो अपनी मिठास कब भरोेगे..
-कुलीना कुमारी, 26-12-2016




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