सैया जी बड़ी ठंढी लगे
आज गरमी मुझे अच्छे से चाहिए
तेरा साथ मुझे अच्छे से चाहिए
तेरा प्यार मुझे अच्छे से चाहिए
एक ही कमरे में हम दोनों पड़े
फिर भी मोहे ठंढी लगे ये शरम की बात है
अपना लाज-शरम कही छोड़ आओ यार
कभी कल्याण करना भी अच्छी बात है
ऐसे कस के पकड़ लो मुझे
तेरी अनुभूमि मुझे अच्छे से चाहिए
ना ना आज शरम नहीं करना
शरम करूंगी तो ओ कैसे करूंगी
तुम्हें लाज आए तो मैं ही पास आ जाऊं
तुम कहो तो मैं ही कर लूंगी
आज अपने से दूर जाने न दूंगी
आज तेरा चाहिए तो चाहिए
कितना भी पहनूं हूं स्वेटर ओढूं रजाई
ये जाड़ा है कैसा कि जाए नहीं
जरा छूकर तो देख सिहरे हैं बदन
आज अकेले तो ये गरमाए नहीं
जरा सट ले तू मुझसे यार
आज ताकत तेरी अच्छे से चाहिए
-कुलीना कुमारी, 12 दिसम्बर 2014
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