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मैंने उनसे कहा
मुझे आपसे ‘वो’ चाहिए
उन्होंने जरा ठहरकर
मगर अफसोस जताते हुए कहा...
मेरे पास ‘वो’ नहीं, जो तुम चाहती हो
मैंने झट से उत्तर दिया
कोई बात नहीं
मुझमें तमन्ना हुई है तो मुझे ‘वो’ चाहिए ही
आप ना सही, कोई और सही
उसी से मांग लूंगी
इस पर वे आगबाबुला हो बोल उठे
नहीं, नहीं
किसी और के पास जाने की जरूरत नहीं
मेरे पास सब है
जो तुम्हें चाहिए, ‘वो’ सब है
मैं खुश हो उठी
यही तो मैं चाहती थी
अपने पुरूष साथी में पुरूषार्थ का एहसास
कुछ भी कर गुजर जाने का जोश
अपने होने का आत्मविश्वास...
-कुलीना कुमारी, 14-12-15
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