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वो अपना साथ याद है
मुलाकात याद है
दिवाना बने थे आप
अपनी भड़की जज्बात याद है
भूले न भुलाए वो नजराना
चोरी-चोरी नजरें मिलाना
हाय कितनी कातिल हंसी थी
आपका वो अपनापन जताना
तड़पकर पता बताना याद है
भूलना नहीं, फरियाद करना याद है...
दिल के गिरह यूं खुलते गये
आप उसमें घुसते गये
अधिकार आप देते ही रहे
हम उसमें खोते गये
अपना दिले बेकरार याद है
आपका अजब वो इकरार याद है...
मैं सोचूं
समझ जाय आप
मुझसे प्यार जताकर बताया
नहीं है ये पाप
अपना दिले लगाव याद है
आपका प्यार बेहिसाब याद है...
वक्त बदलता गया
हम नहीं बदले
मैं आना न छोड़ी
आप मिलना न भूले
वो कसमें, वफा की बात याद है
आपसे महके मेरे दिन-रात है...
-कुलीना कुमारी, 22-1-2017
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