ठहर ठहर ठहर जा बलम
जरा प्यार तो कर लूं
फिर चले जाना
अभी तो प्यासा प्यासा नयन
भड़के हैं यौवन
उसे तृप्ति तो कर लूं
फिर चले जाना
तेरे लिए कितना तड़पे
कितना याद तुमको किया है
बड़ी मुश्किल से तू मिला
बड़ा तेरा इंतजार किया है
तेरी खुशबू सांसों में तो भर लूं
जो हसरत पूरा तो कर लू
फिर चले जाना
मैं तो प्यार की पहल कर करके थक गई
तुम कितना निष्ठूर प्यार नहीं जताते
मैं नारी नारी ही रहने दो
अपने शरम का पट खोल क्यों मर्दानगी नहीं जताते
तुम प्यार से निहारो मुझे
छुओ मुझे चूमो मुझे
फिर चले जाना
अभी तो तन मेरा प्यासा प्यासा
इसके अरमान तो पूरा कर दो
अगर भड़के हैं आग भड़कने दो
बुझा लो खुद को मुझको भी शीतल कर दो
अपनी हर गांठे खोलो
जो भी चाहे बोल दो
फिर चले जाना
-कुलीना कुमारी, 7/1/2015
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