‘महिला अधिकार अभियान’ अक्टूबर 2016।
आजकल आप लोगों ने बहुत सुना होगा ‘सेल्फी विथ डॉटर’ हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने कार्यक्रम‘ मन की बात’ में भी इसका जिक्र किया है। आखिर सेल्फी विथ डॉटर की जरूरत पड़ी ही क्यों? क्योंकि हम और हमारा समाज बदलना ही नहीं चाहते आज भी हमारे समाज में पुरूषों को ही श्रेष्ट माना जाता है पर हम भूल गए हैं की यह नयी सदी है यहाँ नारी सब पे भारी है समाज हम बनाते हैं, उसको संवारने का दायित्व हम पर है। मुझे जहाँ तक लगता है समस्या हमारे अंदर है हम कहीं अनजाने में ही परवरिश के समय एक बेटे और एक बेटी में अंतर कर बैठते हैं, हम यह भूल जाते हैं कि आगे जाकर इन्हें समाज के मानवीय गुणों से संपन्न नागरिक भी बनना है।
सबसे पहले शुरुआत परिवार से करनी होगी जब एक औरत गर्भवती होती है तब हमारे आस पास के लोग उसकी बदलती शारीरिक बनावट, रंगरूप, खानपान की आदत से ही लिंग निर्धारण करने लगते हैं। ऐसा करना मेरी समझ से परे है, ऐसे समय में एक महिला को पौष्टिक खाने और सुखद वातावरण की जरूरत होती है जिससे वह एक स्वस्थ्य शिशु को जनम दे सके। मुझे नहीं लगता की उस महिला को इतना मानसिक दबाव में रहना चाहिए की शिशु लड़का है या लड़की। कहीं न कहीं हमारी मानसिक और अल्पविकसित सोच भी इस भेद को बचपन से ही बढ़ावा देती है। कहते भी हे माँ बनना आसान है, पालना मुश्किल क्यों क्योकि बच्चों को अच्छे संस्कार देना बहुत जरूरी है। हम अनजाने मै ही कुछ बाते बच्चों को कहते और वो बाते उनके मानसिक पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो जाती है जैसे तुम लड़की हो गुड़िया के साथ खेलो तुम लड़के हो कार के साथ खेलो। अरे तुम लड़के होकर भी रोते हो, ये कही हुई बाते समय के साथ दिखाई देने लगती है। पर अब समय तेजी से बदल रहा है क्यों लड़के को रोने का कोई अधिकार नहीं, कोई लड़का अपनी भावनाओं को क्यों छुपाये उसे भी टूट कर रोने दोजिये, तभी तो एक लड़की की विदाई के समय दुल्हा बनने पर उस दर्द उस आंसू को समझ सकेगा और आगे जाकर अच्छा पति और पिता बनेगा।
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आज जरूरत है एक लड़की को कराटे सिखाने और लड़के को रोटी बनाने की सीख़ देने की अब लड़का लड़की दोनों बराबर है कही भी कोई कमजोर नहीं। मैं मानती हूँ समाज़ मे असुरक्षा भी है कुछ हल्का वातवरण भी है। महानगरों मे हालात बहुत ख़राब है पर किसी न किसी को तो पहल करनी होगी तो फिर हम क्यों नहीं.. आज सेल्फी विथ डॉटर की इतनी जरूरत नहीं है जितनी हमारी डॉटर को सेल्फ डिफेन्स सिखाने की है सक्षम व आत्म निर्भर बनाने की है।
Written by डॉ विनीता मेहता, Dr. Vinita Mehta
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