एक बार और मेरे मीत
आओ कुर्बान हो ले
मैं तुम्हें पा लूं
तू मुझे लूट ले
वादियां भी हसीन है
जवानी भी अंगराइयां ले
आज तन्हाइयां भाए नहीं
ये तेरे लिए जम्हाइयां ले
आज तुम्हें देख मुझे भूख लग रही
तू भी मुझे पी ले...
फिर वो दौर याद आए
जब तुने छुआ और मैं दिवानी हुई
फिर से आज तेरी तमन्ना
मुझे तृप्त कर बहुत प्यासी हुई
मेरे अंग-अंग में लग गई आग
तू मेरे नस-नस में अपना जोश भर दे...
आज लाज-शरम हम ना करेंगे
तेरा प्यार चाहिए तुम्हें प्यार करेंगे
तू भी जमाने से डर नहीं मीत
जिसे जलना ही है, वो तो (कैसे भी) जलते रहेंगे
तू बुद्धू ना बनके रह साजन
मुझसे खेल ले, तू मुझे जीत ले..
-कुलीना कुमारी, 13-11-15
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