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मैं आवाज दूं तो आना
मुझको तन्हा न छोड़ना
मेरे दिल में तू रहता है, रहता है
ये न भूलना
आज धड़कनें फिर बेचैन क्यों
छलकना चाहे मेरे नैन क्यों
मैं कमजोर पड़ूं तो सहारा देना ..आना..
कैसी प्यास मन की मिटाए न मिटाए
मैं बचना चाहूं ये मुझको जलाए
अपने ठंढक से शीतल तुम करना..आना..
आज फिर तेरी बाहों में छुपने का मन करता है
तेरे संग जीने का मरने का मन करता है
तू अपनी ऊर्जा से ओत-प्रोत करना..आना..
-कुलीना कुमारी, 18-12-2016
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