वो दिवानगी, वो तेरी मोहक छवि
भूलाए भूला नहीं पाती
वो तेरा नजरें मिलाना
मिलाकर मुस्कराना
वो अपनापन जताना
दिल से हटा नहीं पाती
कैसा नशा था तुझमें
हम उसमें खोते गये
तेरे सपने देखने लगे
हम तेरे होते गये
तेरा भी बेकरार हो लिपट जाना
मैं भूला नहीं पाती
तेरे स्पर्श ने
मुझको दीवाना बनाया
तेरे प्यार का समंदर
यूं मुझकोे डूबोया
आंखे मेरी मगर बसता है अब तू
दिल में आवाज तेरी ही पाती..
फिर इक बार हमसे मिलो
अपनी ताकत भरो
बड़ी कमजोर मैं हो गई
कुछ देर मेरे संग रहो
विरह की आग हमको जलाए
मैं तेरे बिना जी नहीं पाती...
-कुलीना कुमारी, 21-11-2016



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