जब-जब कलियां खिलखिलाती है
भंवरा मंडराता है
मुझे तू याद आता है
भंवरा मंडराता है
मुझे तू याद आता है
तेरा प्यार याद आता है
विश्वास याद आता है
वो मिठास याद आता है
विश्वास याद आता है
वो मिठास याद आता है
मेरा रूप-यौवन तुमको लुभाने के लिए
मुझसे दूर जाना नहीं
मेरे पास आना नहीं
ये बहाने तुमको भड़काने के लिए
मुझसे दूर जाना नहीं
मेरे पास आना नहीं
ये बहाने तुमको भड़काने के लिए
इंकार से स्वीकार में बदलना
तेरी गरमी से मेरे जिस्म का पिघलना
टकरार से इकरार तक
हर रंग याद आता है
मुझे तू याद आता है...
फिर से बदन मेरा खिलने लगा
यौवन रस टपकने लगा
मेरा मचलना, तेरा भड़कना
आवाज मेरी तेरा तड़पना
फिर से यौवन रस पी अपना पिला
वो भाव बन जाता है
मुझे तू याद आता है...
यौवन रस टपकने लगा
मेरा मचलना, तेरा भड़कना
आवाज मेरी तेरा तड़पना
फिर से यौवन रस पी अपना पिला
वो भाव बन जाता है
मुझे तू याद आता है...
देखो कितना सुंदर लग रहीं
अगर भोगो नहीं तो ये किस काम के
मुझे तू चाहिए, पूरा ही चाहिए
अगर दो नहीं तो यौवन किस काम के
तेरा बुलाना, मेरा आ जाना
मेरा शरमाना, तेरा समाना
वो आनन्द में चूर-चूर होना
फिर से प्यार बन जाता है
मुझे तू याद आता है...
अगर भोगो नहीं तो ये किस काम के
मुझे तू चाहिए, पूरा ही चाहिए
अगर दो नहीं तो यौवन किस काम के
तेरा बुलाना, मेरा आ जाना
मेरा शरमाना, तेरा समाना
वो आनन्द में चूर-चूर होना
फिर से प्यार बन जाता है
मुझे तू याद आता है...
-कुलीना कुमारी, 3-11-2016
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