डर विभिन्न रूपों में हमारे अंदर
अगर समय पर भोजन न मिले तो..
भोजन मिल भी जाय
मगर आगे का इंतजाम न हो तो..
आज रोजगार कल छूट जाय तो..
बच्चे की फीस का इंतजाम न हो
उसकी जरूरतें न पूराय तो..
अथवा ओ डिप्रेशन में चला जाय
उसका रिजल्ट खराब हो जाय तो..
अपने जीवनसाथी को खुश न रखे
उसे पैसा न दे या जरूरतें न पूराय तो..
किसी और के साथ वो भाग जाय तो..
या फिर समाज के हिसाब से न चले
समाज हमारे खिलाफ हो जाय तो..
कहीं समाज निकाला कर दे
अथवा नंगा घुमाय तो..
या सरकार के हिसाब से न चले
और वो गलत मामले में फंसा दे तो..
परिवार वालों को ही नुकसान पहुंचाय तो..
यहीं क्यों,
किसी अन्य के साथ रंगेलिया मनाय
और पकड़े जाय तो..
या फिर वहीं पार्टनर कभी गुस्से में आ
हमारा काला चिट्ठा सार्वजनिक कर दें तो..
यह भी कि पार्टनर से लड़ लिया
उससे बेवफाई किया
मगर दूसरा पार्टनर उससे भी गंदा मिल जाय तो..
अथवा कभी किसी के साथ बुरा सलूक किया
और वो उसका बदला ले..अचानक हमला कर दे तो..
हम पर न चल पाय तो हमारी स्त्री, बहन, बेटी के साथ
बलात्कार कर ले तो..
अथवा जीतेजी न करे
मरने के बाद ही भूत बनकर परेशान करे तो..
क्या पता सपने में आकर डराय
या कहीं सोते में ही उठा ले.. ऊपर पहुंचा दे तो..
ऐसे ही अनगिनत डर हम इंसान के अंदर
इस पर विजय पाकर ही आगे बढने में जीत
अपने सपने व इच्छाशक्ति को इतना बढाय
कि कोई भी डर हम पर हावी न हो पाय
वहीं इंसान खुद का मीत
रहता है प्रसन्न चित्त
और बनता है विश्वजीत
-कुलीना कुमारी, 24-12-2016
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