जिन्होंने मेरे गालों की लाली
मुस्कान बख्शी है
हो रब्बा उनका साथ बनाए रखना
प्यार बनाए रखना
हर वरष में हर युग में
जिन्होंने चलने का जोश दिया
जीने की वजह बख्शी है
हो रब्बा उनका भाव बनाए रखना
ऐतवार बनाए रखना
हर वरष में हर युग में
मैं गिरने लगूं तो
मेरे अपने मुझे सम्हाले
भटकने लगूं तो
गुरूजन राह दिखाए
हर सुख-दुख में साथ मिले अपनों का
तो जीवन होता जाए सहज
हर वरष में हर युग में..
कुछ ऐसे भी मेरे साथी हैं
जो मुझको पढ़ना जानते हैं
मैं क्या कहूं समझते हैं
मुझको परखना जानते हैं
आलोचना-समालोचना के मंजर में
निखरता जाए मेरा व्यक्त्वि निरंतर
हर वरष में हर युग में..
मेरा मरद मेरा प्रेमी
मेरी जरुरत वह समझता है
मैं क्या चाहूं जानता है
अपनी ताकत मुझमें भरता है
उनसे जुड़कर संपूर्णता पाती रहूं
आनन्द मैं भोगती रहूं
हर वरष में हर युग में..
कितना कुछ दिया देश और समाज ने
हम अपना भी कुछ देते जाए
सुख क्या है, उन्हें बताए
अच्छाइयां हम बांटते जाए
अरमान और फर्ज के मिश्रण संग
ढलता जाए जीवन का पल-पल
हर वरष में हर युग में
-कुलीना कुमारी, 1-1-2017
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